Tuesday, June 25, 2019

#Emergency: जब इंदिरा गांधी ने दिया भारत को शॉक ट्रीटमेंट

25 जून 1975 की सुबह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय के फ़ोन की घंटी बजी. उस समय वह दिल्ली में ही बंग भवन के अपने कमरे में अपने बिस्तर पर लेटे हुए थे.
दूसरे छोर पर इंदिरा गांधी के विशेष सहायक आरके धवन थे जो उन्हे प्रधानमंत्री निवास पर तलब कर रहे थे. जब राय 1 सफ़दरजंग रोड पहुँचे तो इंदिरा गांधी अपनी स्टडी में बड़ी मेज़ के सामने बैठी हुई थीं जिस पर ख़ुफ़िया रिपोर्टों का ढ़ेर लगा हुआ था.
अगले दो घंटों तक वो देश की स्थिति पर बात करते रहे. इंदिरा का कहना था कि पूरे देश में अव्यवस्था फैल रही है. गुजरात और बिहार की विधानसभाएं भंग की जा चुकी हैं. इस तरह तो विपक्ष की मांगों का कोई अंत ही नहीं होगा. हमें कड़े फ़ैसले लेने की ज़रूरत है.
इंदिरा ने ये भी कहा कि वो अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की हेट लिस्ट में सबसे ऊपर हैं और उन्हें डर है कि कहीं उनकी सरकार का भी सीआईए की मदद से चिली के राष्ट्रपति सालवडोर अयेंदे की तरह तख़्ता न पलट दिया जाए.
बाद में एक इंटरव्यू में भी इंदिरा ने स्वीकार किया किया कि भारत को एक 'शॉक ट्रीटमेंट' की ज़रूरत थी. इंदिरा ने सिद्धार्थ को इसलिए बुलाया था क्योंकि वह संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ माने जाते थे.
मज़े की बात ये थी कि उन्होंने तब तक अपने कानून मंत्री एचआर गोखले से इस बारे में कोई सलाह मशविरा नहीं किया था. राय ने कहा कि मुझे वापस जाकर संवैधानिक स्थिति को समझने दीजिए. इंदिरा राज़ी हो गईं लेकिन यह भी कहा कि आप 'जल्द से जल्द' वापस आइए.
राय ने वापस आकर न सिर्फ़ भारतीय बल्कि अमरीकी संविधान के संबद्ध हिस्सों पर नज़र डाली. वो दोपहर बाद तीन बज कर तीस मिनट पर दोबारा 1 सफ़दरजंग रोड पहुँचे और इंदिरा को बताया कि वो आंतरिक गड़बड़ियों से निपटने के लिए धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा कर सकतीं हैं.
इंदिरा ने राय से कहा कि वो आपातकाल लगाने से पहले मंत्रिमंडल के सामने इस मामले को नहीं लाना चाहतीं. इस पर राय ने उन्हें सलाह दी कि वो राष्ट्रपति से कह सकतीं हैं कि मंत्रिमंडल की बैठक बुलाने के लिए पर्याप्त समय नहीं था.
इंदिरा ने सिद्धार्थ शंकर राय से कहा कि वो इस प्रस्ताव के साथ राष्ट्रपति के पास जाएं. कैथरीन फ़्रैंक अपनी किताब इंदिरा में लिखती हैं कि इसका राय ने ये कह कर विरोध किया कि वो पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री हैं, प्रधानमंत्री नहीं.
हाँ उन्होंने ये पेशकश ज़रूर कर दी कि वो उनके साथ राष्ट्रपति भवन चल सकते हैं. ये दोनों शाम साढ़े पांच बजे वहाँ पहुंचे. सारी बात फ़ख़रुद्दीन अली अहमद को समझाई गई. उन्होंने इंदिरा से कहा कि आप इमरजेंसी के कागज़ भिजवाइए.
जब राय और इंदिरा वापस 1 सफ़दरजंग रोड पहुँचे तब तक अंधेरा घिर आया था. राय ने इंदिरा के सचिव पीएन धर को ब्रीफ़ किया. धर ने अपने टाइपिस्ट को बुला कर आपातकाल की घोषणा के प्रस्ताव को डिक्टेट कराया. सारे कागज़ों के साथ आर के धवन राष्ट्रपति भवन पहुँचे.
इंदिरा ने निर्देश दिए कि मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को अगली सुबह 5 बजे फ़ोन कर बताया जाए कि सुबह 6 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है. जब तक आधी रात होने को आ चुकी थी लेकिन सिद्धार्थ शंकर राय अभी भी 1 सफ़दरजंग रोड पर मौजूद थे. वो इंदिरा के साथ उस भाषण को अंतिम रूप दे रहे थे जिसे इंदिरा अगले दिन मंत्रिमंडल की बैठक के बाद रेडियो पर देश के लिए देने वाली थीं.
बीच बीच में संजय उस कमरे में आ जा रहे थे. एक दो बार उन्होंने 10-15 मिनटों के लिए इंदिरा गांधी को कमरे से बाहर भी बुलाया. उधर आर के धवन के कमरे में संजय गांधी और ओम मेहता उन लोगों की लिस्ट बना रहे थे जिन्हें गिरफ़्तार किया जाना था. उस लिस्ट के अनुमोदन के लिए इंदिरा को बार बार कमरे से बाहर बुलाया जा रहा था.
ये तीनों लोग इस बात की भी योजना बना रहे थे कि अगले दिन कैसे समाचारपत्रों की बिजली काट कर सेंसर शिप लागू की जाएगी. जब तक इंदिरा ने अपने भाषण को अंतिम रूप दिया सुबह के तीन बज चुके थे.
राय ने इंदिरा से विदा ली लेकिन गेट तक पहुंचते पहुंचते वो ओम मेहता से टकरा गए. उन्होंने उन्हें बताया कि अगले दिन अख़बारों की बिजली काटने और अदालतों को बंद रखने की योजना बना ली गई है.
राय ने तुरंत इसका विरोध किया और कहा, "ये बेतुका फ़ैसला है. हमने इसके बारे में तो बात नहीं की थी. आप इसे इस तरह से लागू नहीं कर सकते."
राय वापस मुड़े और धवन के पास जा कर बोले कि वो इंदिरा से फिर मिलना चाहते हैं. धवन ने कहा कि वो सोने जा चुकीं हैं. राय ने ज़ोर दिया,'मेरा उनसे मिलना ज़रूरी है.'
बहुत झिझकते हुए धवन इंदिरा गांधी के पास गए और उन्हें ले कर बाहर आए. राय ने कैथरीन फ़्रैंक को बताया कि जब उन्होंने इंदिरा को बिजली काटने वाली बात बताई तो उनके होश उड़ गए.
उन्होंने राय से इंतज़ार करने के लिए कहा और कमरे से बाहर चली गईं. इस बीच धवन के दफ़्तर से संजय ने बंसी लाल को फ़ोन किया कि राय बिजली काटने की योजना का विरोध कर रहे हैं.
बंसी लाल ने जवाब दिया, "राय को निकाल बाहर करिए... वो खेल बिगाड़ रहे हैं. वो अपने आपको बहुत बड़ा वकील समझते हैं लेकिन उन्हें कुछ आता जाता नहीं."(जग्गा कपूर, वाट प्राइस पर्जरी: फ़ैक्ट्स ऑफ़ शाह कमीशन)
जब राय इंदिरा का इंतज़ार कर रहे थे तो ओम मेहता ने उन्हें बताया कि इंदिरा सेंसरशिप तो चाहती हैं लेकिन अख़बारों की बिजली काटने और अदालतें बंद करने का आइडिया संजय का है.
जब इंदिरा वापस लौटीं तो उनकी आंखें लाल थीं. उन्होंने राय से कहा, "सिद्धार्थ बिजली रहेगी और अदालतें भी खुलेंगीं." राय इस ख़ुशफ़हमी में वापस लौटे कि सब कुछ ठीक हो गया है.

Monday, June 10, 2019

لِمَ ظلت إحدى أضخم كنائس أوروبا نحو 137 عاما غير مكتملة ومن دون تصريح بناء؟

أصدرت برشلونة أخيرا تصريح إجازة بناء لأحد أشهر مزاراتها السياحية بعد 137 سنة من بنائه.
ومُنحت كنيسة ساغرادا فاميليا " العائلة المقدسة"، التي تعد من أضخم الكنائس في أوروبا، الجمعة الماضية تصريحا لاستكمال أعمال البناء حتى عام 2026.
ولا يتضح السبب وراء عدم حصول الكنيسة العتيقة ذات التصميم المميز، الذي يعود للمعماري الإسباني الشهير أنطوني غاودي، على تصريح بناء منذ تأسيسها.
ووافقت الكنيسة، المسجلة كموقع من مواقع التراث الإنساني لدى منظمة اليونسكو، العام الماضي على سداد غرامة بقيمة 41 مليون دولار للسلطات المحلية لمدينة برشلونة.
ومن المأمول أن تكفي السنوات السبعة التي يمتد إليها تصريح البناء لاستكمال أعمال البناء، وهي الفترة التي تتزامن مع إحياء الذكرى المئة لوفاة مصممها الإسباني غاودي في 2026.
وقالت جانيت سانز، نائبة عمدة برشلونة لشؤون التخطيط العمراني، إن الاتفاقية تضع حدا "للغرابة التاريخية في مدينتنا".
و تعد ساغرادا فاميليا من أكثر الأماكن جاذبية للسياح في برشلونة، إذ يزورها حوالي 4.5 مليون زائر سنويا علاوة على 20 مليون شخص يأتون لمشاهدتها من الخارج والتجول في المنطقة المحيطة بها.
ومن المقرر أن تعتمد المرحلة النهائية من البناء على التصميم المعماري الذي أنتجه غاودي والذي يعتمد على استخدام الجص، وذلك من خلال نسخ من التصميم الأصلي التي ضاعت أصولها جراء حريق شب في الكنيسة في الثلاثينيات من القرن العشرين.
أصدر مكتب النائب العام في أفغانستان مذكرة اعتقال بحق الرئيس السابق لاتحاد كرة القدم الأفغاني غداة إيقافه عن العمل من قبل الاتحاد الدولي على خلفية اتهامات بالتحرش الجنسي.
واتهمت 5 لاعبات أفغانيات على الأقل كرم الدين كريم بالتحرش بهن في الفترة ما بين عامي 2013 و2018 وهي الاتهامات التي ينفيها الرئيس السابق للاتحاد الأفغاني.
وكان الاتحاد الدولي لكرة القدم "فيفا"، حظر كريم، من ممارسة العمل في الحقل الرياضي مدى الحياة بعد إدانته بـ "التحرش الجنسي" على لاعبات في المنتخب الأفغاني الوطني للسيدات.
وغُرٍّم كريم مليون فرنك سويسري (794,849 جنيهًا إسترلينيًا) بعد تحقيق أجراه الاتحاد الدولي لكرة القدم.
وأدانت لجنة أخلاق مستقلة كريم "بإساءة استخدام منصبه" وقالت أنه مذنب.
وكان كريم أوقف عن ممارسة مهام منصبه في ديسمبر / كانون الأول، بقرار من مكتب المدعي العام الأفغاني عقب دعاوى قدمتها لاعبات أفغانيات سابقات والمدربة الأمريكية السابق للفريق الأفغاني، كيلي ليندسي.
ووصف الاتحاد الأفغاني لكرة القدم الدعاوى في حينه، بأنها "لا أساس لها من الصحة".
لكن الاتحاد أكد في منشور على موقع فيسبوك يوم السبت، خبر إدانة وحظر كريم.
استمرت الصحف البريطانية الصادرة صباح الإثنين في نسخها الورقية والرقمية في إبراز الملف السوداني بشكل كبير بعد فض الاعتصام أمام مقر القيادة العامة للجيش في العاصمة الخرطوم، كما تناولت ملف الانتخابات الإسرائيلية القادمة ودور الأحزاب اليهودية المتشددة فيها علاوة على ملف العقوبات الدولية على إيران وانعكاسها على سباق التسلح في المنطقة العربية.
الغارديان نشرت تقريرا ضمن سلسلة مطولة من المقالات على مدار الأسابيع الماضية لمراسلتها في الخرطوم زينب محمد صالح، وجيسون بيرك بعنوان "ملايين ينضمون للإضراب العام الساعي لإزاحة الجيش في السودان".
يقول التقرير إن ملايين السودانيين انضموا إلى الإضراب العام الشامل الذي دعى إليه تجمع المهنيين السودانيين وقاموا بإغلاق الشوارع الرئيسية في المدن المختلفة رغم تزامن ذلك مع حملة اعتقالات وتحرشات موسعة من قبل الجيش.
ويشير التقرير إلى أن الإضراب بدأ بالتزامن مع بداية العمل يوم الأحد أول الأسبوع في البلاد ويسعى منظموه إلى استخدامه في إعادة إطلاق حركة المعارضة والمظاهرات التي تلقت ضربة كبيرة بالحملة التي وصفت بالوحشية لفض الاعتصام والوصول إلى مرحلة إجبار قادة الجيش على الاستقالة.
ويوضح التقرير أنه بعد الإطاحة بالرئيس السابق عمر البشير رفض المجلس العسكري الدعوات بالإسراع بنقل السلطة للمدنيين وبدلا عن ذلك سعي لفترة انتقالية كبيرة يتقاسم فيها السلطة مع المدنيين لكن حتى كل محاولات التفاوض حول تشكيل الحكومة الانتقالية باءت بالفشل.
ويقول التقرير إن قادة المجلس العسكري تعرضوا لانتقادات دولية واسعة بعد عملية فض الاعتصام الأسبوع الماضي وتراجعت السعودية والإمارات عن موقفهما السابق المؤيد بشكل غير مشروط للمجلس العسكري السوداني بعد اتصالات أجراها مسؤولون في الإدارة الأمريكية مع قادة الدولتين.
الإندبندنت نشرت مقالا لمراسلتها في القدس بل ترو تعلق فيه على دور الأحزاب اليهودية المتشددة في الانتخابات البرلمانية المقبلة في إسرائيل بعنوان "هل تصبح الأحزاب الأرثوذكسية المتشددة في إسرائيل هي صانعة الملوك الجديدة؟"
وترى ترو أن الصراع الذي سيسيطر على ساحة الانتخابات القادمة في البلاد سيكون هو الصراع بين الأحزاب العلمانية المتطرفة من جهة والأحزاب الأرثوذكسية المتشددة "الحريديم" من جهة أخرى وبذلك سيحل هذا الجانب من المنافسة الحزبية قبيل الانتخابات محل الملفات الموضوعية التي سيطرت على الصراع بين المتنافسين في الانتخابات الماضية وكان على رأسها الموقف من شن حرب شاملة على قطاع غزة.
وتوضح ترو أن الصراع بين الأرثوذكس والعلمانيين أصبح يحتل موقع الصدارة في الجلسات السياسية والاجتماعية في البلاد ليس فقط لإنه سيحدد هوية الحكومة المقبلة ولكن لأنه تسبب في أن تشهد إسرائيل انتخابات عامة للمرة الثانية خلال أسابيع قليلة وهو الأمر الذي يحدث لأول مرة في تاريخ البلاد.
وتشير ترو إلى أن رئيس الوزراء السابق بنيامين نتنياهو فشل في بناء حكومة ائتلافية بالتحالف مع الأحزاب اليمينية المتشددة "بعدما تسبب وزير دفاعه المثير للمشاكل" أفيغدور ليبرمان في إغضاب الحريديم برفضه الموافقة على ضمان استمرار وضعهم الحالي الذي يسمح لهم بعدم الانضمام للخدمة العسكرية.
الديلي تليغراف نشرت تقريرا عن ملف التسلح الإيراني بعنوان "إيران تكشف نظاما جديدا للدفاع الصاروخي في الوقت الذي تحث فيه الأوروبيين على تطبيع العلاقات".
يقول التقرير إن النظام الصاروخي الجديد تم تطويره محليا بشكل كامل وكشفت عنه طهران النقاب في الوقت الذي طالبت فيه الدول الأوروبية بالالتزام بواجباتها بمقتضى الاتفاق النووي أو مواجهة العواقب.
ويوضح التقرير أن النظام الدفاعي الجديد واسمه خورداد 15 يمكنه تتبع ستة أهداف متفرقة في وقت واحد من قائمة موسعة من الأهداف المحتملة بينها الطائرات المسيرة و قاذفات القنابل والمقاتلات والصواريخ الموجهة وبعد رصدها يقوم النظام بإطلاق صواريخ مضادة على هذه الأهداف.
وينقل التقرير عن وزير الدفاع الإيراني أمير حاتمي قوله خلال الإعلان عن النظام الجديد "إيران ستواصل تطوير قدراتها العسكرية للدفاع عن مصالحها القومية ولن نستأذن أي جهة في هذا الصدد".
ويشير التقرير إلى أنه بالرغم من أن إيران تعاني من مشاكل اقتصادية كبرى عقب الانسحاب الأمريكي من الاتفاق النووي الذي أبرم عام 2015 إلا أن طهران مصرة على استعراض قوتها العسكرية في المنطقة بالتزامن مع توتر العلاقات بينها وبين واشنطن.
ويقول التقرير أيضا أن إيران رفضت قبل أيام عرضا فرنسيا بإعادة فتح باب التفاوض بخصوص الاتفاق النووي وأكدت أن محاولة توسيع نطاق الاتفاق قد يؤدي إلى انهياره بالكامل.